दि लद्दाख टेंट [The Ladakh Tent] बना विश्व का सबसे पहला सोलर हीटिड मिलिट्री टेंट [Solar Heated Military Tent]| सोनम वांगचुक [Sonam Wangchuk] ने यह टेंट इंडियन आर्मी के जवानो के लिए बनाया हैं, और साथ ही इस टेंट को विश्व का पहला हीटिड टेंट बताया जा रहा हैं| HIAL यूनिवर्सिटी में शोध के दौरान किया इस सोलर टेंट का निर्माण| दि सोलर टेंट के बारे अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़े|

क्या है दि लद्दाख टेंट [The Ladakh Tent]?
- दि लद्दाख टेंट [The Ladakh Tent] विश्व का पहला सोलर हीटिड मिलिट्री टेंट [Solar Heated Military Tent] हैं, जोकि खास तौर पर भारतीय सेना के जवानों के लिए तैयार किया गया हैं| यह टेंट को मुख्य रूप के लद्दाख जैसे स्थानों पर अपनी ड्यूटी दे रहे जवानों के लिए तैयार किया गया हैं|
- बताया जा रहा है कि यह टेंट दुनिया का पहला ऐसा टेंट है जिसके अंदर सर्दियों के मौसम में ठंड का अहसास नहीं होता हैं|
- इसके अलावा यह दुनिया का सबसे पहला सोर ऊर्जा से चलने वाला टेंट हाउस हैं, जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक बड़ी आसानी से लाया और ले जाया सकता हैं|
किसने बनाया है इस टेंट को:
- इस सोलर हीटिड मिलिट्री टेंट या दि लद्दाख टेंट [The Ladakh Tent] का निर्माण भारत के मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद सोनम वांगचुक ने किया हैं | उन्होंने यह टेंट खासतोर से ठंडे इलाकों में अपनी ड्यूटी कर रहे भारतीय जवानो के लिए बनाया हैं|
- उन्होंने HIAL यूनिवर्सिटी के माध्यम से इस टेंट का निर्माण किया|
HIAL क्या हैं[What is HIAL]?
- HIAL एक वैकल्पिक यूनिवर्सिटी है जिसका पूरा नाम Himalayan Institute of Alternatives Ladakh हैं| यह एक ऐसी यूनिवर्सिटी जहाँ पर पर्वतीय क्षेत्रों में जीवन यापन करने के लिए शोध की जाती हैं|
- इसके अलावा HIAL यूनिवर्सिटी यह भी शोध करती है कि कैसे पर्वतीय क्षेत्रों में उपलब्ध साधनो के माध्यम से जीवन को और आसान कैसे बनाया जाए|
सोनम वांगचुक [Sonam Wangchuk] का बयान:
- सोनम वांगचुक ने बताया की जब ठंडे क्षेत्रों में सेनाओं को तैनात किया जाता है ओर उन्होंने कपड़े के तम्बुओं तथा लोहे से बने कंटेनर में जब रहना पड़ता है| तो एक बहुत ही बड़ी मात्रा में मिटटी का तैल प्रयोग में लाया जाता है जोकि बहुत ही खर्चीला होता हैं| क्योकि यह तैल विदेशो से मंगाया जाता हैं|
- और इसके अलावा उन्होंने बताया की इस तैल के जलने की वजह से कई सारा धुँआ निकलता है, जोकि पर्यायवरण के लिए भी काफी नुकसान दायक होता हैं| ओर इसके कारण लद्दाख जैसे इलाकों में ग्लेशियर पिघलने का खतरा तथा मौसम में भी परिवर्तन होने लग जाता हैं|
- इसके अलावा उन्होंने बताया की इसके कारण सैनिको को भी कई प्रकार की दिक्कत होने लगती है और उनके साथ भी कई प्रकार के हादसे होते हैं|
- वांगचुक ने बताया की उन्होंने दि लद्दाख टेंट [The Ladakh Tent] का निर्माण एक शोध के दौरान किया| लद्दाख की एक जानी-मानी यूनिवर्सिटी HIAL हैं, इस यूनिवर्सिटी में शोध के दौरान ही उन्होंने सोचा कि “क्यों न मुश्किल हालत में भी अपने देश के लिए सेवा दे रहे जवानो के लिए एक सोलर शेल्टर का निर्माण किया जाय| ” सोनम वांगचुक ने इसी उद्देश्य से इस सोलर हीटिड मिलिट्री टेंट का निर्माण किया|
- उन्होंने बताया की इस टेंट के अंदर सैनिक आसानी से विश्राम कर सकते है, और न ही उन्हें तैल का खर्चा, गर्मी इतियादी समस्याओ का सामना नही करना पड़ता हैं|
सोनम वांगचुक ने कितने समय में इस टेंट का निर्माण किया:
- सोनम वांगचुक ने बताया की इस सोलर हीटिड मिलिट्री टेंट [Solar Heated Military Tent] का निर्माण उन्होंने मात्र 4 हफ्ते के अंतर्गत ही कर दिया था|
दि लद्दाख टेंट [The Ladakh Tent] के फायदे:
- यह दुनिया का सबसे पहला सोलर टेंट है, जोकि पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर आधारित हैं| इसके अलावा इस टेंट की के प्रयोग में आने की वजह से कई लीटर मिट्टी तेल की बचत होगी|
- साथ ही यह पर्यायवरण की दृष्टि से भी काफी लाभदायक है, क्योकि इस टेंट में किसी भी तरह का लिक्विड पदार्थ प्रयोग नहीं किया गया हैं|
- यह टेंट आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाया ओर ले जाया जा सकता हैं|
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